TLDR;
इस वीडियो में, भारत की क्रेडिट रेटिंग को मॉर्निंग स्टार डीबीआरएस द्वारा अपग्रेड किए जाने पर चर्चा की गई है, जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक खबर है। रेटिंग को ट्रिपल बी पर अपग्रेड किया गया है, जो देश की वित्तीय स्थिरता में सुधार को दर्शाता है। वीडियो में क्रेडिट रेटिंग के महत्व, अपग्रेड के कारणों और इसके संभावित प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है।
- क्रेडिट रेटिंग अपग्रेड का मतलब है कि भारत की लोन चुकाने की क्षमता में सुधार हुआ है।
- यह अपग्रेड भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, वित्तीय स्थिरता और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार को दर्शाता है।
- इस अपग्रेड से भारत में अधिक निवेश आने और रुपये को स्थिर करने में मदद मिलेगी।
परिचय [0:00]
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर है। मॉर्निंग स्टार डीबीआरएस ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड करके ट्रिपल बी कर दिया है। इस खबर का मतलब, इसके पीछे के कारण और भारत पर इसके प्रभाव को समझना जरूरी है।
मॉर्निंग स्टार डीबीआरएस द्वारा रेटिंग अपग्रेड [0:58]
मॉर्निंग स्टार डीबीआरएस, एक प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है, जिसने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड किया है। लॉन्ग टर्म विदेशी और लोकल करेंसी इशू रेटिंग को ट्रिपल बी लो से बढ़ाकर ट्रिपल बी कर दिया गया है। शॉर्ट टर्म रेटिंग को भी R2 मिडिल से बढ़ाकर R2 हाई कर दिया गया है। आउटलुक को स्टेबल रखा गया है, जो भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
क्रेडिट रेटिंग का महत्व [2:10]
सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग एक देश की कर्ज चुकाने की क्षमता को दर्शाती है। यह रेटिंग निवेशकों को यह तय करने में मदद करती है कि किसी देश में निवेश करना सुरक्षित है या नहीं। खराब क्रेडिट रेटिंग वाले देशों को लोन मिलने में मुश्किल होती है और उन्हें ऊंची ब्याज दरें चुकानी पड़ती हैं। भारत की रेटिंग में सुधार का मतलब है कि अब भारत में निवेश करना अधिक सुरक्षित माना जाएगा। ट्रिपल बी रेटिंग का मतलब है कि भारत इन्वेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग में है, जिससे दुनिया भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित होगी। स्टेबल ट्रेंड का मतलब है कि यह रेटिंग जल्दी गिरने वाली नहीं है।
रेटिंग अपग्रेड के कारण [4:13]
भारत की रेटिंग को अपग्रेड करने के कई कारण हैं। पहला, भारत की आर्थिक वृद्धि अच्छी चल रही है, खासकर कोविड के बाद से। सरकार ने पीएलआई स्कीम्स और डिजिटाइजेशन को बढ़ावा दिया है। दूसरा, सरकार वित्तीय अनुशासन बनाए रख रही है और अपने खर्चों को नियंत्रित कर रही है। कोविड के समय में फिस्कल डेफिसिट 13% था, जो अब घटकर 7.4% हो गया है। तीसरा, बैंकिंग सेक्टर में भी सुधार हुआ है और एनपीए घटकर 2.5% रह गया है। इसके अलावा, महंगाई भी नियंत्रण में है और विदेशी मुद्रा भंडार भी अच्छा है। सरकार द्वारा डिजिटाइजेशन और टैक्स रिफॉर्म्स से भी राजस्व में वृद्धि हुई है।
चुनौतियां [7:21]
हालांकि, भारत के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। पब्लिक डेप्ट टू जीडीपी रेश्यो अभी भी 80% के आसपास है, जो कि अधिक है। बेरोजगारी भी एक समस्या है और जियोपॉलिटिकल रिस्क भी बने हुए हैं। कुछ राज्यों की वित्तीय स्थिति भी कमजोर है और लेबर और लैंड रिफॉर्म्स में देरी हो रही है।
रेटिंग अपग्रेड का प्रभाव [8:29]
रेटिंग अपग्रेड से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और भारत में अधिक एफडीआई आएगा। इससे बॉन्ड यील्ड नीचे जाएगा और ब्याज दरें कम होंगी, जिससे लोन लेना सस्ता होगा। रुपये की वैल्यू भी बढ़ेगी और भारत की ग्लोबल इमेज में सुधार होगा। मॉर्निंग स्टार डीबीआरएस के इस अपग्रेड से दूसरी रेटिंग एजेंसियों पर भी भारत की रेटिंग बढ़ाने का दबाव आएगा। भारत का मानना है कि उसकी अर्थव्यवस्था को देखते हुए उसे और भी बेहतर रेटिंग मिलनी चाहिए।